चर्चा अंतरजातीय विवाह की हो रही थी। आजकल माता-पिता की स्वीकृति बढ़ती जा रही है। लीना जी की भी यही राय थी - ' भई, दूसरी जात की लड़की लाने में मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं'
' और यदि बेटी ने इंटरकास्ट मैरिज चाही तो ? '
' मना कर दूँगी'
हम्म, भेदभाव गया नहीं बेटे-बेटी का' -कल्पना जी बोल पड़ी
नहीं रे, ये बात नहीं है, असल में दूसरी लड़की को अपने हिसाब से ढाल सकते हैं।
अरे तो, बेटी भी तो जहाँ जाएगी उस साँचे में ढल जाएगी।
तू तो बावरी है, यही तो मैं नहीं चाहती कि बेटी को उनके हिसाब से
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment